हाई दोस्तों मेरा नाम साजदा है और मैं अलाहबाद की रहने वाली हूँ. यह
बात तब की है जब मैं 21 साल की थी और कोलेज में पढाई करती थी. कोलेज में
उन्नति और निर्मला मेरी खास सहेलियां थी. उन्नति के डैड आर्मी में है और
निर्मला के मम्मी डेडी दोनों ही एक स्कुल में टीचर थे. उन्नति का भाई
अर्जुन हमारे साथ ही कोलेज में था लेकिन वह हम से एक साल छोटा था. अर्जुन
मुझे पहले से ही अच्छा लगता था और वह मुझे अक्सर घूरता रहेता था. उन्नति और
निर्मला दोनों को यह बात पता नहीं थी. मेरे मन में भी इस देसी लड़के के
साथ चुदने की इच्छा जागी थी पर दोस्त का दिल टूटे यह भी मुझे पसंद नहीं था.
मैं अक्सर अर्जुन के बारे से सोच कर अपनी चूत में ऊँगली लिया करती थी. मैं
बस उसका लंड एक बार अपनी चूत के अंदर लेना चाहती थी. मेरा यह मौका आखिरकार
सफल हुआ, उस दिन मैं उन्नति के घर गई थी……!
वैसे मैं तू उसे उसका कर अपनी चूत तृप्त करवाना चाहती थी लेकिन मैंने मनोमन सोचा साजदा यह तो तुझे ही चाहता है यह चूत चाटेगा भी और चुसेगा भी….! मैंने ख़ाली ख़ाली शर्माने की एक्टिंग की और वो बोला, देखा मैंने कहा था ना की मेरा मेल नहीं खाएगा. मैंने अब उसकी तरफ देखा और कहा, अर्जुन ऐसी बात नहीं है…मुझे भी तुम पहले से ही अच्छे लगते हों. इससे पहले की वोह भावनाओं मैं बह जाए में उससे लपट गई और उसे अपने चुंचो से छाती का स्पर्श करवा दिया. वोह मुझे कस के गले लगाने लगा और उसका तगड़ा लौड़ा मेरी चूत के बिलकुल उपर था.
अर्जुन अकेला था घर पे, चुदाई का मैदान साफ़ था
उन्नति से एक सब्जेक्ट के नोट्स लेने के लिए एक दोपहर को मैं उसके घर गई थी, उसका मोबाइल बंध था इसलिए मेरी उससे बात नहीं हो पाई थी. मैं घर जा के उसका डोरबेल बजाने लगी. डोर अर्जुन ने ही खोला और वह केवल बनियान और एक कोटन की लेंघी पहने हुआ था. शायद गर्मी से बचने के लिए उसने कम कपडे पहने हुए थे. मैंने थोडा शरमाते हुए पूछा, उन्नति है….? अर्जुन ने कहा, नहीं वो तो मोम डेड के साथ अंकल के घर गई है. अंकल की तबियत ख़राब है. उसने मुझे कहा, अंदर आइये. मेरा मन भी मुझे अंदर जाने को कहने लगा. मैं अंदर गई और सोफे पर बैठी. तभी मेरी नजर टीवी के पास पड़े डीवीडी प्लेयर के उपर पड़ी. उसके उपर एक 2X मूवी का डीवीडी मेरी चूत को उकसाने के लिए काफी था. मैं मनोमन सोच रही थी जो आज अर्जुन हाथ पकड़ा दे तो मैं उसका लंड पूरा चूस लूँ. अर्जुन मेरे लिए पानी ले आया और हम दोनों बातें करने लगे.चूत में लंड लेने के लिए गर्लफ्रेंड की बात निकाली
मैने थोड़ी बातें इधर उधर कर के अर्जुन से पूछा के गर्लफ्रेंड बनी के नहीं. उसने हँसते हुए कहा बनानी तो हैं पर डर लगता हैं दीदी को पता चला तो घर में पिट्वाएगी. मैं उसे कहा दीदी का इतना टेंशन मत लो अर्जुन, जवानी में सब चलता है. थोडा क्रेज़िनेस तो चाहिए ना. वैसे कोई तो अच्छी लगती होंगी तुम्हे. मैंने उसकी आँखों में अपनी आँखे गडाई थी. अर्जुन जैसे की मेरे नजरो से डर रहा था और उसने मुझ से आँखे चुराते हुए कहाँ, नहीं रहने दो अभी फिर कभी बताऊंगा. उसका यह शरमाना मेरी चूत को और भी बेताब कर रहा था.मैं खड़ी हुई और उसके एकदम करीब बैठ गई, उसकी जांघे और मेरी जांघे टच हो रही थी. अर्जुन मेरी तरफ देख के बोला रहने दो साजदा जी मेरा कुछ मेल नाही खाने वाला…मैंने उसकी आँख से आँख मिलाई और उसने सीधे ही मेरी होंठो पर अपने हाथ रखे और बोला…मुझे आप पसंद हो साजदा जी….!!!वैसे मैं तू उसे उसका कर अपनी चूत तृप्त करवाना चाहती थी लेकिन मैंने मनोमन सोचा साजदा यह तो तुझे ही चाहता है यह चूत चाटेगा भी और चुसेगा भी….! मैंने ख़ाली ख़ाली शर्माने की एक्टिंग की और वो बोला, देखा मैंने कहा था ना की मेरा मेल नहीं खाएगा. मैंने अब उसकी तरफ देखा और कहा, अर्जुन ऐसी बात नहीं है…मुझे भी तुम पहले से ही अच्छे लगते हों. इससे पहले की वोह भावनाओं मैं बह जाए में उससे लपट गई और उसे अपने चुंचो से छाती का स्पर्श करवा दिया. वोह मुझे कस के गले लगाने लगा और उसका तगड़ा लौड़ा मेरी चूत के बिलकुल उपर था.
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